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आधा इंडिया Loan Settlement के बाद करता है ये गलती! फिर हाथ-पैर जोड़ने पर भी बैंक नहीं होते कर्ज देने को तैयार
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Sat, Jun 21, 2025 07:45 AM IST
होम लोन के तौर पर लोग अच्छा-खासा अमाउंट बैंक से कर्ज के तौर पर लेते हैं. ये लोन लंबे समय के लिए लिया जाता है. अधिकतम अवधि 30 साल होती है, ऐसे EMI में बड़ी रकम लंबे समय तक चुकानी पड़ती है. कई बार इस बीच ऐसी सिचुएशन भी आ जाती है, जब लोन की ईएमआई देना मुश्किल हो जाता है और डिफॉल्ट जैसी कंडीशन बन जाती है. इस सिचुएशन में लोग कई बार One Time Settlement का सहारा लेते हैं. इसे लोन सेटलमेंट भी कहा जाता है. लोन सेटलमेंट से ईएमआई देने से राहत मिल जाती है. ऐसे में लोगों को लगता है कि लोन अब खत्म हो गया. यही सबसे बड़ी भूल होती है. इसकी वजह से आगे चलकर परेशान होना पड़ता है. भविष्य में जब आपको दोबारा कभी लोन की जरूरत पड़ती है तो बैंक फिर आसानी से लोन देने को तैयार नहीं होते. यहां जानिए आखिर क्या है पूरा माजरा.
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पहले समझिए क्या होता है लोन सेटलमेंट

OTS बैंक और उधारकर्ता के बीच एक समझौता होता है जिसमें एक बार में निश्चित अमाउंट पर लोन सेटलमेंट किया जाता है. लोन सेटलमेंट के समय डिफॉल्टर को बकाया प्रिंसिपल अमाउंट तो पूरा देना पड़ता है, लेकिन इंटरेस्ट अमाउंट के साथ-साथ पेनल्टी और अन्य चार्ज को आंशिक या पूर्ण रूप से माफ किया जा सकता है. ये बैंक और ग्राहक की आपसी समझौते पर निर्भर करता है.
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जानिए कहां होती है चूक

लोन सेटलमेंट को लोग लोन क्लोजर समझ लेते हैं. लेकिन वास्तव में सेटल किया गया लोन कभी क्लोज नहीं माना जाता क्योंकि सेटलमेंट करने पर बैंक के पास वो पूरी रकम नहीं पहुंचती जो उधारकर्ता को अपने लोन टेन्योर के बीच लौटानी होती है. इसलिए बैंक उधारकर्ता की क्रेडिट हिस्ट्री में सेटल्ड लिख देते हैं. इससे ये पता चलता है कि उधार लेने वाले के पास लोन को चुकाने के पैसे नहीं थे.
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गिर जाता है सिबिल स्कोर

लोन सेटलमेंट से आपका सिबिल रिकॉर्ड खराब हो जाता है. सेटलमेंट के बाद क्रेडिट हिस्ट्री में Settled लिख दिया जाता है. इससे क्रेडिट स्कोर 50 से 100 पॉइंट या उससे भी ज्यादा कम हो सकता है. अगर लोन लेने वाला एक से ज्यादा क्रेडिट अकाउंट का सेटलमेंट करता है, तो क्रेडिट स्कोर इससे भी ज्यादा कम हो सकता है.
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क्रेडिट रिपोर्ट में 7 साल तक लगा रहता है ठप्पा

दिक्कत की बात ये है कि अगर आप लोन को क्लोज नहीं कराते तो आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में अकाउंट स्टेटस सेक्शन में इस बात का जिक्र अगले 7 सालों तक रह सकता है कि आपने अपने लोन को सेटल किया है. ऐसे में आपके लिए आने वाले वर्षों में लोन लेना बहुत मुश्किल हो जाता है. आप बैंक द्वारा ब्लैक लिस्टेड भी किए जा सकते हैं.
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कैसे क्लोज कराएं लोन

इन स्थितियों से बचने का तरीका है लोन क्लोजर. सेटलमेंट के बाद जब भी आप आर्थिक रूप से सक्षम हो जाएं, तब बैंक का बकाया जो सेटलमेंट के दौरान आप नहीं दे पाए थे, वो लौटाएं और सेटल्ड अकाउंट को क्लोज्ड अकाउंट में बदलने का प्रयास करें. अकाउंट क्लोज होने के बाद नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) बैंक से जरूर ले लें. ये प्रमाणित करेगा कि आपका लोन पूरी तरह से बंद हो गया है और कोई बकाया राशि नहीं है. इसके बाद आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में स्टेटस को सेटल्ड लोन से क्लोज्ड लोन में अपडेट कर दिया जाएगा.
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सेटलमेंट की नौबत न आए, इसके लिए ये काम करें

जानकार लोगों का मानना है कि डिफॉल्टर बनने की स्थिति ही न आए, इसके लिए आपको लोन लेते समय लोन की राशि, टेन्योर और घर का बजट सबकुछ दिमाग में रखकर डिसीजन लेना चाहिए. कोशिश करें कि आप मकान खरीदते समय ज्यादा से ज्यादा डाउन पेमेंट करें. इससे आपको बहुत लोन नहीं लेना पड़ेगा. आप अगर 30 से 40 प्रतिशत तक डाउन पेमेंट कर देते हैं तो आपके लिए काफी आसानी होगी. इसके अलावा आप जो भी मकान ले रहे हैं, उसकी कॉस्ट आपकी कुल वार्षिक आय से तीन गुना से ज्यादा नहीं हो. आपकी EMI आपकी इनकम की 30 प्रतिशत से ज्यादा न हो. इन बातों का ध्यान रखेंगे तो होम लोन को लेने के बाद आसानी से चुका भी देंगे.
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