चेक बाउंस मामले में बैंक से निकासी पर रोक का सुझाव, PhDCCI ने वित्त मंत्रालय से की अपील
check bounce: आंकड़ों के मुताबिक, वर्तमान में करीब 33 लाख से ज्यादा चेक बाउंस के मामले कानूनी लड़ाई में फंसे हुए हैं. उद्योग ने चेक बाउंस होने का मुद्दे उठाया है.
check bounce:उद्योग मंडल पीएचडीसीसीआई (PHDCCI) ने वित्त मंत्रालय से चेक बाउंस (check bounce) मामले में सख्त कदम उठाने का सुझाव दिया है. उद्योग मंडल ने कहा है कि चेक बाउंस के मामले में जारीकर्ता की बैंक से निकासी को जरूरी तौर पर कुछ दिन के लिए सस्पेंड कर दिया जाए. भाषा की खबर के मुताबिक, पीएचडीसीसीआई ने कहा कि सरकार को ऐसा कानून लाना चाहिए जिसके तहत चेक का भुगतान नहीं होने की तारीख से 90 दिन के भीतर दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता के जरिये मामले को सुलझाया जाए.
चेक बाउंस मामले पर विचार करना बहुत महत्वपूर्ण
खबर के मुताबिक, वित्तीय सेवा विभाग के सचिव संजय मल्होत्रा को हाल ही में एक लेटर में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) ने कहा कि उद्योग ने चेक बाउंस होने का मुद्दे उठाया है. पीएचडीसीसीआई के महासचिव सौरभ सान्याल ने कहा कि चूंकि भारत सरकार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कारोबार सुगमता पर ध्यान केंद्रित कर रही है, इसलिए चेक के बाउंस (check bounce) होने से संबंधित मुद्दों पर विचार करना बहुत महत्वपूर्ण है.
बाउंस का मुकदमा महंगा
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
सान्याल ने कहा कि यह खरीदार और विक्रेता के बीच अविश्वास पैदा करता है. उद्योग मंडल (PHDCCI) ने यह भी सुझाव दिया कि बैंक को चेक जारीकर्ता के खाते से कोई दूसरे भुगतान करने से पहले ही अगर संभव हो तो बैंकिंग प्रणाली के भीतर बाउंस किए गए चेक का भुगतान करना चाहिए. सान्याल ने कहा कि सूक्ष्म लघु और मझोले उद्योग (एमएसएमई) के लिए चेक बाउंस का मुकदमा महंगा है, क्योंकि इसके लिए वकील फीस रकम वसूलते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, वर्तमान में करीब 33 लाख से ज्यादा चेक बाउंस के मामले कानूनी लड़ाई में फंसे हुए हैं.
चेक बाउंस क्या है
बता दें, जब किसी वजह से बैंक, चेक को रिजेक्ट कर देता है और मनी पेमेंट नहीं हो पाता है तो इसे चेक बाउंस (check bounce) होना कहते हैं. ऐसा होने का कारण ज्यादातर अकाउंट में बैलेंस पर्याप्त नहीं होना होता है. हालांकि, अगर व्यक्ति के सिग्नेचर में अंतर या समानता नहीं होता है तो भी बैंक चेक को रिजेक्ट कर देता है.
05:12 PM IST