अपनी सैलरी पर आप कितना अमाउंट Home Loan के तौर पर ले सकते हैं? SBI ने खुद दी है जानकारी
बैंक भी तमाम क्राइटेरिया के आधार पर ये तय करते हैं कि आपको कितनी राशि Home Loan के तौर पर दी जा सकती है. इस मामले में आपके सिबिल स्कोर के अलावा आपकी इनकम भी मायने रखती है. यहां जानिए कि लोन की राशि अप्रूव करने से पहले बैंक किन बातों पर गौर करते हैं.
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03:37 PM IST
होम लोन लंबे समय का लोन है. ज्यादातर लोग एक बड़ी राशि होम लोन के तौर पर लेते हैं, ऐसे में इसे देने से पहले बैंक भी तमाम क्राइटेरिया के आधार पर ये तय करते हैं कि आपको कितनी राशि Home Loan के तौर पर दी जा सकती है. इस मामले में आपके सिबिल स्कोर के अलावा आपकी इनकम भी मायने रखती है. अगर आप भी जानना चाहते हैं कि आपकी सैलरी के आधार पर होम लोन कितने समय के लिए मिल सकता है तो जानिए इस बारे में.
आपको कितना लोन मिल सकता है?
आपको लोन कितना मिलेगा ये कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है जैसे– आपकी इनकम, सिबिल स्कोर, लोन चुकाने की क्षमता, पहले से चल रही देनदारियां (Liabilities) वगैरह. अगर आपकी लोन चुकाने की क्षमता अच्छी है तो आपको लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
इनकम के मामले में दो चीजें देखते हैं बैंक
इनकम के मामले बैंक दो चीजों पर गौर करते हैं. पहला-नेट इनकम (Net Income) क्या है और दूसरा इनकम की स्थिरता (Income Stability).
समझिए क्या है नेट इनकम?
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नेट इनकम की बात करें तो आपकी जॉइनिंग लेटर या इनक्रीमेंट लेटर में दी गई सैलरी आपकी ग्रॉस सैलरी (Gross Salary) होती है, लेकिन ये पूरी राशि आपके बैंक अकाउंट में नहीं आती क्योंकि इसमें कुछ कटौतियां शामिल होती हैं जैसे- प्रोविडेंट फंड (Provident Fund), ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान (Group Health Insurance Plans), इनकम टैक्स आदि. इन कटौतियों के बाद जो सैलरी आपके अकाउंट में आती है उसे नेट इनकम कहा जाता है. होम लोन पात्रता आपकी नेट इनकम के आधार पर तय होती है. इसके अलावा, बैंक आपकी अन्य देनदारियों (जैसे पहले से चल रहे लोन की EMI, किराया आदि) को भी ध्यान में रखता है. इसे इफेक्टिव लोन पात्रता (Effective Loan Eligibility) कहा जाता है.
Income Stability से क्या मतलब है?
Income Stability का मतलब है कि आपकी कमाई कितनी नियमित और भरोसेमंद है. बैंक किसी बड़ी और स्थिर कंपनी में काम करने वाले व्यक्ति को ज्यादा प्राथमिकता देता है. फ्रीलांसर (Freelancer) या कंसल्टेंट की तुलना में फुल-टाइम कर्मचारी को लोन मिलने की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि उनकी इनकम अधिक स्थिर मानी जाती है. Income Stability होने पर बैंक आपको अन्य फैक्टर्स के कमजोर होने पर भी लोन दे सकता है.
एलिजिबिलिटी मल्टीप्लायर (Eligibility Multiplier) को समझें
बैंक आपकी होम लोन पात्रता का आकलन करने के लिए Eligibility Multiplier का उपयोग करता है. इसमें तीन स्थितियां होती हैं:
1. ग्रॉस एलिजिबिलिटी मल्टीप्लायर (Gross Eligibility Multiplier)
आमतौर पर, बैंक आपकी वार्षिक ग्रॉस इनकम (Annual Gross Income) के 4 गुना तक का लोन दे सकता है. अगर आपकी मासिक सैलरी ₹1 लाख है, तो वार्षिक सैलरी ₹12 लाख होगी. ऐसे में बैंक आपको अधिकतम ₹50 लाख तक का लोन दे सकता है.
2. नेट एलिजिबिलिटी मल्टीप्लायर (Net Eligibility Multiplier)
टैक्स, PF और इंश्योरेंस कटने के बाद अगर आपकी नेट सैलरी ₹9 लाख है, तो बैंक इसे 6 गुना तक लोन दे सकता है. इस स्थिति में आपको ₹48 लाख से ₹54 लाख तक का लोन मिल सकता है.
3. EMI की सीमा (EMI Limit)
सलाह दी जाती है कि होम लोन की EMI आपकी डिस्पोजेबल इनकम (खर्च के बाद बची हुई इनकम) के 40% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर आपकी मासिक डिस्पोजेबल इनकम ₹45,000 है, तो आपकी EMI इस राशि के आसपास होनी चाहिए. इससे आपको ₹45 से ₹50 लाख तक का लोन मिल सकता है.
सैलरी के अलावा ये फैक्टर्स भी आते हैं काम
- अगर आप फ्रीलांसर हैं और आपकी पत्नी की जॉब स्थिर है, तो उसे Co-applicant बनाकर लोन की पात्रता बढ़ाई जा सकती है. Co-applicant की अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री से लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
- अगर आपके ऊपर पहले से कोई लोन या EMI चल रही है, तो उसे चुकाकर अपनी लोन पात्रता बढ़ा सकते हैं. Loan Consolidation करने से भी पात्रता बेहतर होती है.
- अगर आपके पास कोई संपत्ति है, तो उसे गिरवी रखकर भी होम लोन पात्रता बढ़ाई जा सकती है.
(ये जानकारी SBI Reality के ब्लॉग से ली गई है)
03:37 PM IST