बैंकों में 5 डे वर्किंग को मिल गई RBI की मंजूरी? सरकार ने खुद बताया क्या है प्लान
Banks 5 Day Working: मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि RBI ने 1 अप्रैल से 5 डे वर्किंग की मंजूरी दे दी है. PIB फैक्टचेक ने बताया कि सरकार या RBI की तरफ से ऐसा कोई आदेश नहीं पास किया गया है.
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Banks 5 Day Working: बैंक कर्मचारियों और उनके यूनियनों की लंबे समय से ये मांग रही है कि बैंकों में भी सिर्फ 5 डे वर्किंग को मंजूरी दे दी जाए. इसे लेकर बैंक यूनियन लगातार अलग-अलग तरीकों से अपनी मांग सरकार तक पहुंचा रहे हैं. यहां तक कि इसके लिए 24-25 मार्च को एक देशव्यापी हड़ताल का भी ऐलान किया जा चुका है. हालांकि, इन सबके बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में RBI के हवाले से यह कहा गया कि 1 अप्रैल से बैंकों में 5 डे वर्किंग की मंजूरी दे दी गई है. जिसके बाद बैंकों में हर शनिवार और रविवार को अवकाश रहेगा. अब इस दावे में कितनी सच्चाई है इसका खुलासा खुद सरकार ने कर दिया है.
क्या है 5 डे वर्किंग ऑर्डर का सच?
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि RBI ने 1 अप्रैल से 5 डे वर्किंग की मंजूरी दे दी है. इन खबरों के आने के तुरंत बाद सरकार की फैक्ट चेकिंग एजेंसी ने इन दावों की पड़ताल की. PIB फैक्टचेक ने बताया कि सरकार या RBI की तरफ से ऐसा कोई आदेश नहीं पास किया गया है.
A news report by Lokmat Times claims that starting from April, banks across the country would operate 5 days a week, following a new regulation issued by @RBI #PIBFactCheck
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) March 20, 2025
▶️This claim is #Fake
▶️For official information related with Reserve Bank of India, visit :… pic.twitter.com/MrZHhMQ0dK
बैंक यूनियनों ने किया हड़ताल का ऐलान
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बता दें कि इसके पहले ही बैंकों में 5 डे वर्किंग और अपनी अन्य मांगों को लेकर यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) ने 24 और 25 मार्च 2025 को देशव्यापी दो दिवसीय बैंक हड़ताल का ऐलान किया है. जिसके चलते 22 मार्च से 25 मार्च तक बैंकों में कोई काम नहीं होने वाला है. क्योंकि शनिवार और रविवार को पहले से ही साप्ताहिक अवकाश है.
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क्या है यूनियन की मांग?
UFBU यह हड़ताल सभी कैडर्स में पर्याप्त भर्ती, अस्थायी कर्मचारियों के नियमितीकरण, और बैंकिंग क्षेत्र में पांच दिवसीय कार्य सप्ताह लागू करने जैसी प्रमुख मांगों को लेकर की जा रही है. UFBU में नौ प्रमुख बैंक यूनियनें शामिल हैं, जो सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र, विदेशी बैंक, सहकारी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के आठ लाख से अधिक कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करती हैं.
बैंक यूनियनों की मांग है कि सभी शाखाओं में पर्याप्त स्टाफ नियुक्त किया जाए, जिससे ग्राहकों को बेहतर सेवा मिल सके और मौजूदा स्टाफ पर अत्यधिक कार्यभार न पड़े. इसके अलावा, अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने, पांच दिवसीय कार्य सप्ताह लागू करने, और हाल ही में सरकार द्वारा जारी प्रदर्शन समीक्षा (Performance Review) और प्रोडक्टिविटी लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम को वापस लेने की मांग की गई है. यूनियन का कहना है कि ये नीतियां नौकरी की सुरक्षा को खतरे में डालती हैं, कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच भेदभाव पैदा करती हैं, और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्वायत्तता को कमजोर करती हैं.
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इसके अतिरिक्त, बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, श्रमिक और अधिकारी निदेशकों के पदों को भरने, भारतीय बैंक संघ (IBA) के साथ लंबित मुद्दों के समाधान, और ग्रेच्युटी अधिनियम में संशोधन कर अधिकतम सीमा को 25 लाख रुपये करने जैसी मांगें भी शामिल हैं. यूनियन ने यह भी मांग की है कि कर्मचारियों को दिए जाने वाले स्टाफ वेलफेयर बेनिफिट्स पर इनकम टैक्स न लगाया जाए और बैंक प्रबंधन इसे वहन करे.
12:42 PM IST