बैंक में आपके डिपॉजिट को मिला नया 'सेफ्टी कवर', संसद से पास हुआ कानून
DICGC (Amendment) Bill, 2021: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 जुलाई को DICGC एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
(Image: Reuters)
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DICGC (Amendment) Bill, 2021:बैंक में अब आपके डिपॉजिट को एक नया 'सेफ्टी कवर' मिल गया है. संसद में पास हुए कानून से बैंक डिपॉजिटर्स (जमाकर्ताओं) को यह अधिकार मिला है कि अगर संकट में फंसे आपके बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगती है, तो आप अपनी 5 लाख रुपए तक की रकम 90 दिन में निकाल सकेंगे. यह रकम डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के जरिए मिलेगी. दरअसल, DICGC बैंक में डिपॉजिट पर 5 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस कवर उपलब्ध करता है.
संसद ने ‘द डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (संशोधन), 2021’ को मंजूरी दे दी. इसके तहत संकटग्रस्त बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगने की कंडीशन में डिपॉजिटर्स अपनी पांच लाख रुपए तक की राशि निकाल सकेंगे. राज्यसभा में यह विधेयक पहले ही पास हो चुका है और लोकसभा ने सोमवार को इसे मंजूरी दे दी.
इस बिल को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि 2019 में कई कोऑपरेटिव बैंकों में दिक्कत आ गईं थीं और डिपॉजिटर्स को भी समस्याओं का सामना करना पड़ा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अगुवाई में इस सरकार ने डिपॉजिटर्स के लिए इंश्योरेंस को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया था और अब इसे पांच लाख रुपये किया गया है. इसके साथ ही डिपॉजिटर्स को समय पर पैसा मिलेगा.
लागू हुआ कानून
सीतारमण ने यह भी कहा कि यह बिल अभी से प्रभावी होगा. इससे पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (PMC) बैंक जैसे बैंकों के छोटे डिपॉजिटर्स को फायदा मिलेगा. उन्होंने बताया कि इस बिल के पारित होने से 23 कोऑपेरटिव बैंकों के डिपॉजिटर्स को राहत मिलेगी. इन बैंकों पर आर्थिक संकट के चलते रिजर्व बैंक की ओर से कई पाबंदिया लगाई गई हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में DICGC कानून में संशोधन का एलान किया था.
बिल के जरिए कानून में बदलाव
इस बिल के जरिए DICGC एक्ट, 1961 में संशोधन किया गया है, ताकि डिपॉजिटर्स में अपने पैसे की सुरक्षा के बारे में भरोसा पैदा किया जा सके. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 जुलाई को DICGC एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. कानून में संशोधन लागू होने के बाद बैंक पर लेन-देन की रोक लगने पर डिपॉजिटर्स को 90 दिन के भीतर पांच लाख रुपये तक की जमा राशि मिल जाएगी. इसमें प्रिंसिपल अमाउंट और इंटरेस्ट दोनों शामिल हैं.
डीआईसीजीसी, भारतीय रिजर्व बैंक के कंट्रोल वाली इकाई है, बैंक डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवर देती है. फिलहाल, संकट के चलते प्रतिबंध झेल रहे बैंकों से डिपॉजिटर्स को अपनी इंश्योर्ड रकम और अन्य क्लेम हासिल करने में 8-10 साल का समय लग जाता है.
(Input: PTI)
02:02 PM IST