Published: 11:31 AM, Aug 5, 2024
|Updated: 12:45 PM, Aug 5, 2024
केंद्र सरकार की ओर से साल 2021 में व्हीकल स्क्रैपेजिंग पॉलिसी लेकर आई गई थी. व्हीकल को स्क्रैप करना हो तो इस मामले में दिल्ली-एनसीआर में सबसे बड़ा प्लेयर है Rosmerta Technologies. ये कंपनी लंबे समय से इस फील्ड में काम कर रही है और मौजूदा समय में कंपनी के पास चार से पांच हजार व्हीकल्स सालाना तौर पर स्क्रैप होने आते हैं. दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुरानी डीजल कार और 15 साल पुरानी पेट्रोल कार को स्क्रैप करने का नियम है. यहां फोटो के जरिए जानिए कि किसी कार को स्क्रैप कैसे किया जाता है और उसका स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस क्या है?

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सबसे पहला स्टेप कार का वजन तय करना होता है. जब कार स्क्रैप होने के लिए फैसिलिटी में आती है तो सबसे पहले कार का वजन किया जाता है और उसके बाद अलग-अलग कंपोनेंट्स निकालकर उनका वजन अलग-अलग किया जाता है. इसके बाद कार का रेडिएशन चेक किया जाता है और एलपीजी और सीएनजी सिलेंडर हैं तो उन्हें अलग कर दिए जाते हैं.

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ऊपर बताए गए स्टेप के बाद कार की धुलाई की जाती है. कार में जितनी भी डस्ट, गंदगी या धूल-कंकड़ होते हैं, तो उन्हें साफ किया जाता है ताकि स्क्रैप करते हुए कोई दिक्कत ना हो.

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स्क्रैप होने के लिए फैसिलिटी में जो कार आती है, उसके एसी में से गैस को अलग कर दिया जाता है. हालांकि ज्यादातर कार के एसी में गैस नहीं होती लेकिन अगर होती है तो इसे एक स्टेशन से निकाल दिया जाता है.

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एसी गैस को निकालने के बाद कार में मौजूद 5 तरह के लिक्विड या यूं कहें कि तेल को बाहर निकाला जाता है. ये काम दो तरीकों से होता है. एक सक्शन तरीके से और दूसरा ग्रैविटी के तरीके से. इन दोनों तरीकों से कार में डीजल या पेट्रोल, इंजन ऑयल, ब्रेक, स्टीयरिंग और शॉकर ऑयल, कूलेंट और मिक्स रिजेक्टेड फ्यूल को निकाला जाता है.

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फ्यूल निकालने के बाद वहां मौजूद कर्मचारी कार को दूसरे स्टेशन पर ले जाते हैं और वहां से कार के एक्सटीरियर को बाहर निकाला जाता है. यहां से कार के दरवाजे, बोनट और बंपर को अलग किया जाता है.

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एक्सटीरियर के बाद कार के इंटीरियर को अलग किया जाता है. इसके लिए अलग से एक स्टेशन तैयार किया गया है. यहां से कार के इंटीरियर यानी कि स्टीयरिंग, डैशबोर्ड और सीट्स को अलग किया जाता है.

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एक्सटीरियर और इंटीरियर अलग कर देने के बाद कार को टिल्ट करके इसमें से कार के चेसी को अलग किया जाता है. इसमें साइलेंसर को कट करके अलग किया जाता है. इसके अलावा कार की बॉडी को एकदम अलग कर दिया जाता है.

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कार की चेसी अलग करने के बाद कार को मेटल की बॉडी में बदलने के लिए इसमें से बचे-कुचे कंपोनेंट्स को अलग कर दिया जाता है. इसमें वायर्स, एल्यूमीनियम और माइनर प्लास्टिक्स शामिल हैं.

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कार को मेटल का बना छोड़ इसे बेल प्रेस मशीन में ले जाया जाता है. यहां कार, जो अब सिर्फ मेटल की बॉडी बनी है, उसे मशीन में डालकर स्क्रैप किया जाता है. इसमें कार को दोनों तरफ से मशीन की मदद से चपटा किया जाता है और बाद में एक गैस के जरिए कंप्रेस कर इसे 2*2 फुट के मेटल डब्बे में बदल दिया जाता है.

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इस पूरी प्रोसेस के बाद आपकी कार एक मेटल का डब्बा बनकर रह जाती है. इसके बाद ये कंपनी अलग-अलग अधिकृत कंपनियों या संस्थाओं को ये स्क्रैप बेच देती हैं.