देश में प्रति 1000 लोगों पर होंगी 200 कारें, तो बढ़ेगी इंडस्ट्री और इकोनॉमी?
मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव का कहना है कि पिछले कुछ सालों से ऑटो सेक्टर की ग्रोथ में गिरावट को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
(Image: Reuters)
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देश में डायरेक्ट-इनडायरेक्ट रूप से करीब 3 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाली ऑटो इंडस्ट्री (Automobile Industry) का जीडीपी (GDP) में कंट्रीब्यूशन करीब 7.1 फीसदी है. सरकार इसे 12 फीसदी तक करना चाहती है. इकोनॉमी (Economy) को बूस्ट देने में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री बड़ा रोल निभा सकती है. हालांकि, हाल के कुछ सालों से इंडस्ट्री की ग्रोथ में गिरावट से जूझ रही है. ऐसे में बिना इसमें तेज रिकवरी आए सेक्टर का जीडीपी में कंट्रीब्यूशन बढ़ाना मुमकिन नहीं है. देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव (MSI chairman RC Bhargava) का मानना है कि अगर ऑटो इंडस्ट्री को इकोनॉमी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को रफ्तार देनी है, तो देश में कारों की संख्या प्रति 1,000 व्यक्ति पर 200 होनी चाहिए जो अभी 25 या 30 है.
आरसी भार्गव का कहना है कि प्रति व्यक्ति कारों की संख्या बढ़ाने के लिए हर साल लाखों कार के मैन्युफैक्चरिंग की जरूरत होगी. उन्होंने कहा, ''क्या हम आश्वस्त हैं कि देश में पर्याप्त संख्या में ग्राहक हैं जिनके पास हर साल लाखों कार खरीदने के साधन हैं? क्या इनकम तेजी से बढ़ रही है? क्या नौकरियां बढ़ रही है? मुझे लगता है कि जब हम अपनी योजनाएं बनाते हैं, इन पहलुओं को हमेशा छोड़ दिया जाता है.'' जब तक हम कस्टमर्स के लिये कार के सस्ते होने के सवाल का समाधान नहीं करते, मुझे नहीं लगता कि कार इंडस्ट्री सीएनजी, बायो फ्यूल या ईवी के जरिए रफ्तार पकड़ेगी.''
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ऑटो सेक्टर के लिए ठोस कदम जरूरी
मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने एक इवेंट में सरकारी अधिकारियों को बयानवीर बताते हुए उनकी आलोचना की. उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारी केवल बयान देने में आगे रहते हैं, पिछले कुछ सालों से ऑटो सेक्टर की ग्रोथ में गिरावट को दूर करने के लिए उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाया. भार्गव ने कहा कि यह अब पुरानी बात है कि कार इंडस्ट्री और पैसेंजर कार शान-शौकत की चीज है और केवल इसे अमीर ही इस्तेमाल करते हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि यह सोच अभी भी कायम है. भार्गव ने कहा, ''अगर इस सोच में बदलाव आता, मुझे लगता है कि योजना बनाने वाले, अर्थशास्त्री, विचारक, लेखक, पत्रकार सभी को बहुत पहले चिंतित होना चाहिए था कि ऑटो इंडस्ट्री के डेवलपमेंट के लिए क्या हो रहा है.''
इंडस्ट्री के सामने कास्ट घटाना चैलेंज
भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के सामने कई चुनौतियां हैं. भार्गव ने कहा कि हाई टैक्स स्ट्रक्चर, नए इमिशन नॉर्म्स और सेफ्टी नॉर्म्स को पूरा करने की एक्स्ट्रा कॉस्ट के चलते ऑटोमोबाइल्स की लागत बढ़ रही है. इसके चलते यह अधिकांश कंज्यूमर्स के लिए अफोर्डेबल नहीं है. उनका कहना है कि सेंट्रलाइज्ड प्लानिंग सिस्टम में हम हमेशा कस्टमर को भूल जाते हैं, क्योंकि वह मायने नहीं रखता. इसलिए हम भी जब प्लान करते हैं कस्टमर के बारे में नहीं सोचते की वह प्रोडक्ट को अफोर्ड करने में सक्षम होगा या नहीं.
ऑटो सेक्टर पर सरकार को भारी उम्मीदें
दूसरी ओर, सरकार ऑटोमोबाइल सेक्टर की भारत की जीडीपी में हिस्सेदारी 7.1 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने की संभावनाएं देख रही है. इससे सेक्टर में करीब 5 करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा, जोकि अभी 3.7 करोड़ के पासपास है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के विजन में ऑटो सेक्टर को अहम रोल है.
(Input: PTI)
01:05 PM IST